ऐसी थी महान , महारानी माँ अहिल्याबाई…
समाज का अंधकार नष्ट करके ,
परिवर्तन की ज्योत लायी !
परिवर्तन की ज्योत लायी !
पूरब से पच्छिम तक, उत्तर से दक्षिण तक ,
जनहित के लिए, स्वार्थ बिना कार्य करते आयी !सभी धर्म-जातियों-भाषाओंका का सन्मान करते हूए,
सर्वधर्मसमभाव का आदर्ष लेकर आयी !
जनहित के लिए, स्वार्थ बिना कार्य करते आयी !सभी धर्म-जातियों-भाषाओंका का सन्मान करते हूए,
सर्वधर्मसमभाव का आदर्ष लेकर आयी !
ऐसी थी महान , महारानी माँ अहिल्याबाई…
कई मार्गो, पुलों , जलाशयों , धर्मशालाओं निर्माण कराकर,
एक बड़ी सामाजिक आवश्यकता की पूर्ति कराई !
एक बड़ी सामाजिक आवश्यकता की पूर्ति कराई !
तिस साल तक शांतिपूर्वक विशाल राज्य का ऐश्वर्य बढ़ाई…
सभी जाती, वर्ग , समाज , भाषा तथा देश – विदेश में प्रशंसा पायी !
सभी जाती, वर्ग , समाज , भाषा तथा देश – विदेश में प्रशंसा पायी !
दान – धर्म और ‘ समान न्याय ‘ देते हूए,
अहिल्याबाई से ‘अहिल्या ‘ ‘देवी ‘ बन गयी !
अहिल्याबाई से ‘अहिल्या ‘ ‘देवी ‘ बन गयी !
थी ऐसी महान, महारानी माँ अहिल्याबाई…
— सनी. ए ( मुंबई )
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