मैं हूं कौन ?

मैं हूं कौन ? मेरा नाम क्या है ?
कोई बताये…..
नाम मेरे समाज का क्या है ?
इतिहास, मेरे समाज का क्या है ?
अगर नाम मैं ही उलझे है,
तो समझ ले की, इतिहास हम खोये है !!कोई कहता….
हम गड़ेरिया नहीं , गड आर्य है !
हम गद्दी नहीं, बघेल वंश के है !
हम पशु पाल नहीं , पाल क्षत्रिय है !
कोई कहे, हम कुरि-गार है !
कोई कहे , हम दना-कार है !
कोई कहे , हम कुरुवंशी है !
कोई कहे, हम यदुवंशी है !
कोई कहता…
कुरुबा नहीं, हम हालमत वाले है !
भरवाड नहीं , हम मालधारी है !
रबारी नहीं, राहबर है!
महाराष्ट्र के धनगर नहीं , इंदूर के होलकर है !
तमिलनाडु के कुरुम्बन हम, आंध्रा के कुरुमा है !
तो कोई कहे….
हम तो धन के आगर – धनगर है !
महाराष्ट्र के धनगर सही, इंदूर के हम होलकर है !
भारत के भूपाल हम , हम तो शेफर्ड इंटरनेशनल है !
कोई कहता…
चंद्रगुप्त ही हमारा इतिहास है !
कोई कहता…
होलकर ही हमारा अतीत है !
कोई कहे…
बड़ोदा नरेश हमारी शान है !
तो कोई कहे…
होयसल राज हमारा गौरव है !
तो कोई कहता है….
विजयनगर के हम सम्राट है !
मैसुर के राजा हम, कुरुनाडू नरेश है !
अगर हमारा अतीत गौरवशाली है,
तो इतिहास हमारा गुम सा क्यों है ?
मैं हूँ कौन ? मेरा नाम क्या है ?
नाम मेरे समाज का क्या है ?
इतिहास मेरे समाज का क्या है ?
बरसोंसे…. शायद सदियोंसे ….चर्चा एक ही जारी है…
अगर नाम मैं ही उलझे है,
तो समझ ले की, इतिहास हम खोये है !!
पुरखोने इतिहास बनाया था !
लिखनेवाला कोही और था !
इतिहास हम बनायेंगे, इतिहास भी हम लिखेंगे !!
फुरसत में, हाँ…. फुरसत में,
कबर भी खोदेंगे, इतिहास भी ढूंढेग़े !
मुर्दे में एक बार फिर, जान भी हम फूकेंगे !
इतिहास में खोया हुवा हमारा नाम भी ढूंढेग़े !
फुरसत में, हाँ… फुरसत में ये सब हम जरुर करेंगे !!
अब समय आया है… हाँ, अब समय आया है…
भविष्य को देखे, वर्तमान को बनाये !
मुर्दों को नहीं, जिंदों को चलाये !!
आओ…आओ , हम सब मिलकर एक ऐसा जहाँ बनाये ,
जहाँ सब हो स्वतंत्र , जहा सब हो समान !
जहाँ सब में हो बंधुता ! सबको मिले न्याय !
एक ऐसा ‘ अशोक राज ‘ बनाये !!
आओ…आओ , हम सब मिलकर एक ऐसा काम करे !
एक ऐसा इतिहास रचे ,
जो नाम हमारा रोशन करे ! इतिहास समाज का अमर करे !
हम सब ये जान ले , मन में हम ये ठान ले….
इतिहास तो अब बनाना है !
— कवी / लेखक / पत्रकार
एस . एल अक्कीसागर , ( एम.कॉम, पुणे यूनिवरसिटी )

( प्रेसिडेंट, ऑल इंडिया रिझर्व बैंक ओ. बी .सी एम्पलाइज वेलफेअर असोसीएशन)
( इनकी लिखित, सत्यशोधक – दंडनायक संत कनकदास  पुस्तिकासे साभार…1998 में सर्वप्रथम प्रकाशित)

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